मैं बार बार समझाऊं लली री,
भोला संग भावर मत डारे...
वाके माथे पर चंदा सोहै,
तू चमक देख डर जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वाके जटा बीच गंगा सोहै,
तू नहात नहात मर जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वाके गले में नागों की माला,
तू डरत डरत मर जाए लली रे भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वाके हाथों में डमरू सोहै,
तू नाच नाच थक जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
भोला पर्वत को वासी है,
तू चढ़ात चढ़त थक जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वह तो भांग धतूरा खाता है,
तू घोट घोट मर जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वाके खाने को ना पीने को,
वापे औड़न को ना पहरान को,
भूखी प्यासी मर जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....
वह तो करता नंदी सवारी है,
तू घुमत घुमत मर जाए लली री भोला संग भावर मत डारे,
मैं बार बार समझाऊं लली री....