शमशान पर जिसका राज चले, और काल है जिसके पांव तले
जो रहती सदा प्यासी है, मृत्यु भी उसकी दासी है,
वह यम लोक का वासी है, ऐसा भोला अविनाशी है,
उसे कहते राजा भूतों का, वो बीच मसान के रहता है,
वो तन पर चिता की भस्म मले, और बम बम बम बम कहता है।
बम बम बम बम...
जो अक्सर मिलें वीरानों में, वो सब उसके ही चेले हैं,
ना मतलब दुनियादारी से, वह रहते सदा अकेले हैं,
वह भर के चिलम लगा सूटा,अपनी मस्ती में रहते हैं,
वह महाकाल का ध्यान धरें,और बस एक बात ही कहते हैं,
बम बम बम बम...
जीवन वही मृत्यु वही , मरता वही वही मारता,
रक्षक वही भक्षक वही, वही सृजता संघारता,
वही देव है दानव वही, डुबोता वही वही तारता,
नायक है वो, खलनायक भी, बनाता और बिगाड़ता,
वरदान है वही शाप है, आकाश है पाताल है,
जिस से ना कोई बच सका वह ऐसा मायाजाल है,
वह तेरा मेरा इसका उसका, सारी सृष्टि का काल है,
वो महाकाल है...
काल शंभू विकराल शंभू, इस सृष्टि का आधार शंभू,
अभिशाप शंभू वरदान शंभू, हर समस्या का समाधान शंभू,
आकाश शंभू पाताल शंभू, कण-कण में साक्षात शंभू,
आधार शंभू विस्तार शंभू, अनंत का है द्वार शंभू,
हर काल का प्रवाह शंभू, हर युग का है गवाह शंभू,
हर कथा का स्वरूप शंभू, हर लीला का प्रारूप शंभू,
हर सत्य का विचार शंभू, हर-हर का है आधार शंभू,
आस शंभू विश्वास शंभु, तूं जपले हर इक श्वास शंभू ,
शंभू - शंभु , शंभू - शंभू
सीमित भी है बेअंत है, वही शून्य है असंख्य है,
पापी वही वही संत है , आरंभ है और अंत है
वही पाप है वही पुण्य है , वही धर्म है अधर्म है,
वही जीत है वही हार है, वही कर्म और निष्कर्म है,
वो शांत है अशांत भी, वो ही मौन है प्रचंड है,
कोमल भी है कठोर भी, क्षमा वही - वही दंड है,
वही दया है, वही क्रूरता, वही शोक है वही हर्ष है,
दृष्टा भी वो कर्ता भी वो, वही सुगुम और संघर्ष है
शस्त्र है वही शास्त्र है, वही ध्वनि है, वही नाद है,
कल भी वही, वही आज है, पहले वही - वही बाद है,
वही सादगी श्रृंगार है, प्रकाश है अंधकार है,
दृश्य है अदृश्य है, आकार है निराकार है,
गायक व लेखक - राजू उत्तम
संगीत - सौरभ कोली