जगत में एक अविनाशी

( ना जिनका कोई रंग है ना है कोई रूप,
आदिनाथ महादेव है निर्गुण ज्योतिस्वरूप
ना इनका कोई आरंभ है ना है इनका अंत
भोले की त्रिलोकमे महिमा बड़ी अनंत
सदा समाधि में रहे भसमीधारी अंग
अद्भुत जो कहलाते है लिपटे कंठ भुजंग। )

जगत में एक अविनाशी, वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी,
वही निर्गुण वो गुणधारी, वही निर्गुण वो गुणधारी,
वही त्रिलोकी त्रिपुरारी, वही त्रिलोक त्रिपुरारी,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
ओ वही जोगी है सन्यासी।

है ऐसा उनका मुख मंडल समाया जिनमे नवमंडल,
है ऐसा उनका मुख मंडल समाया जिनमे नवमंडल,
समाया जिनमे नवमंडल,
है जिनमे चाँद और तारे, है जिनमे चाँद और तारे,
वो भोलेनाथ है प्यारे, वो भोलेनाथ है प्यारे,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी।

की गंगाधर निराले है जगत सारा संभाला है,
की गंगाधर निराले है जगत सारा संभाला है,
जगत सारा संभाला है,
यहाँ कण कण समाये है, यहाँ कण कण समाये है,
जो धूनी भी रमाये है, जो धूनी भी रमाये है,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी।

कही पर्वत विराजे है कही शिवलिंग में साजे है,
कही पर्वत विराजे है कही शिवलिंग में साजे है,
कही शिवलिंग में साजे है,
है देवो के अधि देवा है देवो के अधि देवा,
हमारे है महादेवा, हमारे है महादेवा,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी।

अनोखे भूत ये भावन ये पावन को करे पावन,
अनोखे भूत ये भावन ये पावन को करे पावन,
पावन को करे पावन,
करो संजो इन्हे वंदन करो संजो इन्हे वंदन,
निरंजन काटते बंधन, निरंजन काटते बंधन,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी,
वही निर्गुण और गुणधारी वही निर्गुण और गुणधारी,
वही त्रिलोक त्रिपुरारी, वही त्रिलोक त्रिपुरारी,
जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी,
वही जोगी है सन्यासी,
हाँ वही जोगी है सन्यासी....
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