बेटी अंगना की फुलवारी है, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी बाबुल को अति प्यारी है, मत मारे मात गर्भ में.....
एक महीना आयो कार्तिक को,
आधे मास दिन आया है दोज को,
भैया तिलक कराने को तरसेगा, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......
एक महीना आयो सावन को,
वामे एक दिन आयो बहना को,
भैया देख कलाई रोबेगो, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......
जब भैया की आई रे सगाई,
शरबत पियाने की बारी आई,
अब याह शरबत कौन पिलावेगों, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......
जब भैया ब्याहने को चलो,
जब घोड़ी पर बैठन लागो,
अब याकी कौन लगाम को पकड़ेगो, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......
जब भाभी ने ललना जाए,
पास पड़ोसन सब मिल आए,
अब याके सतिए कौन धरावेगो, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......
जब भैया ने हवन कराया,
सब संबंधी नोत पटाए,
भैया भांजे को पछताबेगो, मत मारे मात गर्भ में,
बेटी अंगना की फुलवारी है......