रब दूरो दूरो देख रिहा
किदा बंदा मेनू बेच रिहा
लंगर लोंदा टल बजाउँदा
मत्थे वी ओ खूब कसौंदा
मेरी बनायीं दुनिया नू ओ
वहमा दे विच डेग रहा
रब दूरो दूरो देख रहा
किदा बंदा मेनू बेच रिहा.....
ऐ जो रंग बिरंगे बाने
अप्पे बनगए साद सियाने
लोका दे विच आग लगाके
अपनी रोटी सेक रहा
रब दूरो दूरो देख रिहा.......
मंदिर मस्जिद ते गुरूद्वारे
रब नू मिलन दे ने सहारे
रब नू कड इस विचो बंदा
झूठी दौलत ही समेट रिहा
रब दूरो दूरो देख रिहा.......
आजो सारे भरम भुला के
सच्चे मन दी ज्योत जगा के
सब्ली जो अरदास करे
अज्ज वोही बंदा नेक रिहा......
रब दूरो दूरो देख रिहा.......