हे प्रभू साधन बना लो,
मुझ को अपनी शांति का॥
हो जहां घृणा वहां मैं प्रीति भर दूँ,
हो जहां आघात वहां मैं क्षमा भर दूँ,
हो जहां शंका वहां विश्वास भर दूँ,
ऐसा तुम वर दो...
हे प्रभू साधन बना लो,
मुझको अपनी शांति का॥
हो जहां निराशा वहां मैं आशा जगा दूँ,
हो जहां अंधकार मैं ज्योति जला दूँ,
हो जहां शंका वहां विश्वास भर दूँ,
ऐसा तुम वर दो...
हे प्रभू साधन बना लो,
मुझको अपनी शांति का॥
ओ स्वामी मुझको ये वर दो की मैं,
सांत्वना पाने की आशा ना करूँ, सांत्वना देता रहूँ
समझा जाने की आशा ना करूँ, समझता ही रहूँ
प्यार पाने की आशा ना करूँ, प्यार देता ही रहूँ
त्याग के द्वारा ही प्राप्ति होती है,
माफ के द्वारा ही माफी मिलती हैं,
मृत्यु के द्वारा ही जीवन मिलता है,
जीवन अमर.....