बाबोसा मैं हूँ पतंग

तर्ज  - अफसाना लिख रही हूँ

बाबोसा मैं हूँ पतंग, तेरे हाथों में है डोर,
कही टूट नही जाये, ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूँ पतंग...
     
तेरी मर्जी चाहे जैसे उड़ाये अम्बर में,
गर छोड़ दे तु मुझको तो कट जाऊं पलभर में,
तेरे दम पर उड़ती जाऊं, तू उड़ाये जिस ओर,
कही टूट नही जाये, ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूँ पतंग...
                   
तेरी मर्जी के बिना एक पत्ता न हिले,
बाबोसा तेरी हुकूमत सारी दुनिया में चले,
देखा न देव तुझसा बलवान न कोई ओर
कही टूट नही जाये ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूँ पतंग...
               
कभी डोर न टूटेगी मुझको विशवास है,
तेरे हाथों उड़ती रहूँ में मेरे दिल की ये आस है,
दिलबर बिन बाबोसा रीना नही जग में ठोर,
कही टूट नही जाये ये डोर बड़ी कमजोर,
बाबोसा मैं हूँ पतंग...
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