चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे,
कर मईया से प्यार पता नहीं क्या दे दे,
कोठी बंगले चार पता नहीं क्या दे दे,
कर मईया से प्यार पता नहीं क्या दे दे,
चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे.....
रुंड मुंड को मार के मईया, चामुण्डा कहलाई,
सभी दुष्टों का शीश उतार कर, काली बनकर आई,
भक्तो पे उपकार, पता नहीं क्या दे दे,
चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे....
बाण गंगा का निर्मल पानी, नाहे सफल होए जिंदगानी,
रहती वहा पर मां वरदानी, रहती वहा पर मां वरदानी,
तू सच्ची सरकार, पता नहीं क्या दे दे,
चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे....
कुछ लोग जमाने में ऐसे भी तो होते है,
महफिल में तो हस्ते है दरबार में रोते है,
किस बात का रोना है, किस बात पे रोते है,
मईया के दीवाने तो, मस्ती में भी रोते है,
चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे....
मईया मुझसे मोह मत तोड़ो, मुझ निर्धन से नाता जोड़ो,
मैंने तेरा नाम लिया है, ये जीवन तेरे नाम किया है,
करदे भव से पार, पता नही क्या दे दे,
चल मईया के द्वार पता नहीं क्या दे दे....