बौल :-मेरा परदेसी ना आया
हो मीरा हो गई श्याम दिवानीं, कोई ना समझे दर्द कहानी,
आंखों से बरसा पानी,
हो मीरा हो गई श्याम दिवानीं....
सावन बरसा यूं मन तरसा, मैं जी भर के रोई,
जिसने देखा पागल समझा, ये ना समझा कोई,
हो मीरा हो गई श्याम दिवानीं....
याद किसकी जानें जुल्मीं, भुल गया बिरहंन को,
राह में जानें किस सौंतन नें, रोक लिया मोहन को,
हो मीरा हो गई श्याम दिवानीं....
सांझ सवेरे ये कह कह के छेड़े दुनिया सारी,
वो आती है वो जाती है, इक बिरहा की मारी,
हो मीरा हो गई श्याम दिवानीं....