में तेरे बिन रहे नहीं सकता श्याम,
मुझे तेरी आदत हो गई है,
मैं जुड़ाइयाँ सेह नहीं सकता श्याम,
मुझे तेरी आदत हो गई है,
ये जब से होश संभाला तेरी ही देखि सूरत श्याम,
मेरी नस नस में बस गई तेरी ही केवल चाहत श्याम,
मैं और कुछ कह नहीं सकता श्याम,
मुझे तेरी आदत हो गई है,
तू जैसा चाहे रखले तुम्ही पे छोड़ दिया मैंने,
तार सांसो का तेरे संग जोड़ लिया मैंने,
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता श्याम,
मुझे तेरी आदत हो गई है,
नहीं परवाह मुझे जग की कोई बोले चाहे कुछ भी,
ज़िंदगी नाम ये तेरे सँवारे शर्मा ने करदी,
दूर इक पल रह नहीं सकता श्याम,
मुझे तेरी आदत हो गई है,