( तेरी मंजिल तो यही थी,
जिंदगी गुजर गयी आते आते,
पर क्या पाया तूने इस ज़माने में,
तेरे अपनों ने ही आग लगा दी,
तुझे जाते जाते॥ )
इस काया का है भाग भाग,
बिन पाया नही जाता,
कर्म बिना नसीब,
तोड़ फल खाया नही जाता,
महाकाल नाम जपिए,
झूठा झमेला, झूठा झमेला,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला,
तु क्या लेके आया जगत में क्या लेके जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला......
दुःख में सुमिरन सब करे,
और सुख में करे ना कोई,
जो सुमिरन सुख में करे तो,
दुःख काहे का होए,
महाकाल नाम जपिए,
झूठा झमेला झूठा झमेला,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला,
तु क्या लेके आया जगत में क्या लेके जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला.....
इस जगत सराए में मुसाफिर रहना दो दिन का,
क्यों बिना करे गुमान,
मुरख इस धन और दौलत का,
ना ही भरोसा रे पल का युही मर जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला,
तु क्या लेके आया जगत में क्या लेके जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला....
राम नाम के आलसी और भोजन के होसियार,
तुलसी ऐसे जिव को बार बार धितकार,
राम नाम जपले रे बंदी यही साथ जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला,
तु क्या लेके आया जगत में क्या लेके जायेगा,
दो दिन कि जिन्दगी है दो दिन का मेला…..