शुकर तेरा माँ शुकर तेरा,
शुकर तेरा माँ शुकर तेरा,
माँ शुकर तेरा मुझको अपने दरबार बुला लेती है,
जब देना हो बेटे को लाड दुलार बुला लेती है,
कभी कभी एक साल में दो दो बार बुला लेती है,
माँ शुकर तेरा मुझको अपने दरबार बुला लेती है,
शुकर तेरा माँ शुकर तेरा शुकर तेरा माँ शुकर तेरा......
तेरा संदेसा भक्त कभी कोई ला कर दे देता है,
कभी भवन से पवन का झोका आकर दे देता है,
कभी तू सपने में आकर दरबार बुला लेती है,
जब देना हो बेटे को लाड दुलार बुला लेती है,
कभी कभी एक साल में दो दो बार बुला लेती है,
माँ शुकर तेरा मुझको अपने दरबार बुला लेती है,
शुकर तेरा माँ शुकर तेरा शुकर तेरा माँ शुकर तेरा………..
तूने पकड़ कर ना छोड़ी महा माई मेरी कलाई,
इतनी बड़ी झोली ना थी जितनी रेहमत बरसाई,
फिर भरती है भरे हुए भंडार बुला लेती है दरबार बुला लेती है,
जब देना हो बेटे को लाड दुलार बुला लेती है,
कभी कभी एक साल में दो दो बार बुला लेती है,
माँ शुकर तेरा मुझको अपने दरबार बुला लेती है,
शुकर तेरा माँ शुकर तेरा शुकर तेरा माँ शुकर तेरा……