चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है

चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है,
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है.....

कुटिया का हर तिनका मिलने को तरसता है,
कुतिया के छपर से बस प्रेम टपकता है,
कुटिया में रहने वाला तेरा नाम जपता है,
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है.....

घर पर जो आऊ गे वापिस नही जाओ गये,
ये प्यार गरीबो का तुम भूल ना पाओ गये,
एक वार आने जाने में तेरा क्या बिगड़ता है,
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है.....

भीलनी की कुटिया से वो प्यार लाये है,
लो झूठे बेरो का उपहार लाये है,
ये किसा सुने वाला तुझे अपना समझता है,
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है.....

घर वापिस जाओ गे दिल छोड़ के जाओगे,
तुम आधे रस्ते से फिर वापिस आओगे,
बनवारी दिल तेरा मेरा एक जैसे लगता है,
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता है.....
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