दानी होकर क्यूँ चुप बैठा

श्याम बाबा श्याम बाबा श्याम बाबा,
दानी हो कर तू चुप बैठा ये कैसी दातारी रे,
ओ श्याम बाबा क्यों तेरे भक्त दुखारी रे,
श्याम बाबा श्याम बाबा श्याम बाबा....

श्याम सूंदर ने खुश हो कर तुझे अपना रूप दिया है,
और हमने उस रूप का दर्शन सो सो बार किया है,
हमरे संकट दूर न हो तो ये बदनामी थारी रे,
ओ श्याम बाबा क्यों तेरे भक्त दुखारी रे.....

न मैं चहु हीरे मोती ना चांदी ना सोना,
मेरे आंगन भेज दे बाबा तुझसे एक सलोना,
हम को क्या जो वन उपवन में फूल रही फुलवारी रे,
ओ श्याम बाबा क्यों तेरे भक्त दुखारी रे.....

जब तक आशा पूरी ना होगी दर से हम ना हटेगे,
सब भक्तो को बहका देंगे तेरा नाम ही लेंगे,
सोच ले तू भगतो का पलड़ा सदा रहा बाहरी रे,
ओ श्याम बाबा क्यों तेरे भक्त दुखारी रे……
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