मेरे बाबा के द्वार सच्चे दिल से

तर्ज – फकीरा चल चला चल

मेरे बाबा के द्वार,
सच्चे दिल से जो मांगो तुमको,
देगा लखदातार,
वो है दिलदार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम,
मेरे बाबा के द्वार...

मेरे प्यारे सांवरिया की,
दिलदारी को देखो तुम,
खाटू नगरी के राजा की,
दातारी को देखो तुम,
बाबा वो है दातार,
वो तो चाहे जिसपे,
पे कृपा करके,
कर दे बेडा पार,
वो है दिल दार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम।।

दिल में सच्ची श्रद्धा लेकर,
बाबा के दर पर जाओ,
सारे ज़माने की खुशियों की से,
अपनी झोली भर लाओ,
लिले का वो सवार,
अपने भक्तो की अटकी,
नैया कर देता है पार,
वो है दिल दार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम।।

शीश झुकाकर श्याम धणी को,
दुखड़े सारे बता देना,
जो भी गम हो,
दिल में बन्दे,
खुलकर उन्हें सुना देना,
वो दयालु अपार,
दिन दुखीयो की विनती,
सुनने को रहता तैयार,
वो है दिल दार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम।।

ऐसे गुम सुम तुम ना बैठो,
जाओ खाटू में जाओ,
अपने दिल को,
यूँ ना जलाओ,
बाबा से तुम बतलाओ,
वो है साचा दरबार,
थोड़ा मांगो तो भी,
तुमको देगा बेशुमार,
वो है दिल दार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम।।

कहता है ये आज ‘बागड़ा’,
श्याम दया करते रहना,
जैसे मुझको भरते आये,
सबको ही भरते रहना,
बेखबर एक बार,
जो भी बाबा के द्वारे जाये,
हो जाये उद्धार,
वो है दिल दार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम।।

मेरे बाबा के द्वार,
सच्चे दिल से जो मांगो तुमको,
देगा लखदातार,
वो है दिलदार,
क्यों हो ग़ुम सुम,
मिटा लो गम सभी तुम,
मेरे बाबा के द्वार।।
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