पूर्व ढूंढा पश्चिम ढूंढा, मैंने ढूंढा सब संसार रे,
तुम कहां छुपे हो सांवरिया.....
चलत चलत मोहै भई दुपहरी अखियां राह निहारे,
कहां छुपे हो जाकरके तुम ओ साजन मतवारे,
मोहे पिया मिलन की लगन लगी,
तुम मत ना करो आवार रे,
तुम कहां छुपे हो सांवरिया.....
पिता मेरे लाचार हुए हैं नहीं दिखता कुछ और,
विपता मुझ पर आन पड़ी है भए बहुत मजबूर,
आज्ञा दी तुम पति ढूंढो नहीं रसता कोई और,
तुम कहां छुपे हो सांवरिया.....
सखियों के संग आई हूं मैं कुछ तो राह दिखाओ,
हे परमेश्वर मेरी दुबला अब तो दूर भगाओ,
जंगल जंगल में भटक रही हूं नहीं मिले भरतार,
तुम कहां छुपे हो सांवरिया.....