मोरे स्यामल वरन के राम,
राम मोहे प्यारे लगें।।
मस्तक मुकुट और तिलक विराजे,
कानन कुंडल प्रभु को साजे,
लये हाथ धनुष और बान ।।
राम........
सुंदरता जिन्हें देख लज़ाबे,
सूरज चंदा शीश झुकाबें,
वे टी निर्वल के बलराम।।
राम.....
धनुष तोड़ प्रभु सिये को धारे,
पत्थर नार अहिल्या तारे,
वे तो पतितो के सीता राम।।
राम......
वन वन जा प्रभु राक्षस मारे,
खर दूषन वाली खों तारे,
गीध मर गये प्रभु के काम।।
राम.........
रावण को लंका में मारे,
भक्तों की प्रभु ने उद्धारे,
राजेन्द्र जपते प्रभु को नाम।।
राम........
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी