उमरिया तेरी धोखे में बीत गई,
ना लियों राम को नाम....
बालापन हर्ष खेल गमायो,
जवानी गई बुढ़ापा आयो,
जा तीरिया से नेह लगायो तेरे वो भी ना संग गई,
ना लियों राम का नाम.....
16-17 तेरी गई रे खेल में,
20 गई तेरी मध्य की जेल में,
30 40 तिरिया के खेल में 55 बीत गई,
ना लियों और राम का नाम.....
अब तो जाग पड़ा क्यों सोवे,
सोने से कछु काम ना होवे,
कर्म लिखी को कहां तक हो गए तेरी नाडी नाट गई,
ना लियों राम का नाम.....
स्याही जाए सफेदी आवे,,
तन की खाल सुकड़ सब जावे,
बंदर जैसा मुख हो जावे तेरी डगमग नाड हिली,
ना लियों राम का नाम.......