तर्ज - है प्रीत जहाँ की रीत सदा
श्री श्याम नाम की ज्योत जगा,
जो श्याम से लो लगाते है,
खाटू से चलकर बाबा, उन भक्तो के घर आते है,
श्री श्याम नाम की ज्योत जगा....
श्री श्याम .. श्री श्याम...बाबा श्याम
भाव के भूखे है भगवन, बस भाव से ही आते है,
त्याग के मेवा दुर्योधन का , साग विदुर घर खाते है,
ध्रुव प्रहलाद अजामिल को, ये पल में..पार लगाते है,
खाटू से चलकर बाबा, उन भक्तो के घर आते है,
श्री श्याम नाम की ज्योत जगा....
श्री श्याम .. श्री श्याम...बाबा श्याम
विस्वास नही है गर तुझको, एक बार बुलाकर देख जरा,
कर्मा,मीरा, ओर द्रोपती, नरसी ने बुलाया जिस तरह,
अपने भक्तो की आंखों में, ये आँसू.. देख न पाते है,
खाटू से चलकर बाबा, उन भक्तो के घर आते है,
श्री श्याम नाम की ज्योत जगा....
श्री श्याम .. श्री श्याम...बाबा श्याम
होगी नही कभी हार तेरी, ये हारे का सहारा है,
छोड़ सिंहासन दौड़ पड़ा, जब सुदामा ने पुकारा है,
दिलबर पंकज ओर पार्थ कहे, जो हरपल.. कृपा बरसाते है,
खाटू से चलकर बाबा, उन भक्तो के घर आते है,
श्री श्याम नाम की ज्योत जगा....
श्री श्याम .. श्री श्याम...बाबा श्याम