म्हारा बाबा शीश का दानी जी

मिश्री चढ़ाऊ पान चढ़ाऊ,
लगाऊं भोग मैं छप्पन थारे,
ज्योत जलाऊ इत्र चढ़ाऊ,
करू श्रृंगार मैं न्यारे न्यारे,
आओ बाबा मैंने दिखाओ मुखडो थारो जी.....

बात ना थी कोणी छनि जी,
सुनलो दुखडो म्हारा भी,
दुखडो म्हारा भी दुखडो म्हारा भी,
म्हारा बाबा शीश का दानीजी,
सब भक्त री सुनली देखो म्हारा कानि भी,
म्हारी कानि भी संवारा म्हारी कानि भी....

म्हारा बाबा शीश का दानी जी,
सब भक्त री सुनली देखो म्हारा कानि भी,
म्हारी कानि भी संवारा म्हारी कानि भी…..

थारी दर की सांवरा जी घनी अनोखी बात,
हारा हुआ प्रेमी को बाबा बेगो पकड़लो हाथ,
बात ना था से कोई छनि जी,
बात ना था से कोई छनि जी,
सब भक्ता री की सुनली जी देखो म्हारी कानि भी…….

म्हारा बाबा शीश का दानी जी,
सब भक्त री सुनली देखो म्हारा कानि भी,
म्हारी कानि भी संवारा म्हारी कानि भी……
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