तेरे चरणो से है मुझे प्यार साँवरे,
मेरी डूबे नैया, कर पार साँवरे,
तेरे होते डूबे नैया, ये कैसे संभव है,
हारे का साथी बाबा तू, फिर किस बात का डर है,
आके थामो न मेरी पतवार साँवरे…..
ऐसी मुझसे हुई खता क्या बोलो तो गिरधारी,
क्यों तुम हमसे रूठे बात समझ न आरी
विनती सुन लो न मेरी एक बार साँवरे…..
हार के दर पे जो भी आता बिगड़ी उसकी बनाते,
सेठ सवारिया कहती दुनिया, लखदातार कहलाते
तेरे होते क्यों होती मेरी हार साँवरे…..
तेरे खाटू की माटी को माथे तिलक लगाऊ,
भूल हुई जो साँवरिया, उसकी क्षमा में चाहू,
लिखता "आशीष" मुझको भी तार साँवरे,
गाता "विवेक" सुन लो पुकार साँवरे….
मेरी डूबे नैया, कर पार साँवरे…….
लिरिक्स: आशीष गर्ग
गायक: विवेक शर्मा (9971599841)