मार के सुट्टा भरी चिलम,
का भुत जगत में खेल्यासु,
अपने धुन में जिया करू मै,
भोलेनाथ का चेला सु......
कैलाश पे वास करै से,
यो भांग धतुरा पिवनिया,
मस्त बना दे बन्दे ने,
यो मस्ती के मै जीवनिया,
मोह माया ते दूर हो गया,
मेरे नाथ कि गेल्या सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु.....
इस मारया हाथ मेरे भोला साथ,
मै मार धाड़ से पी गया,
चार दिना की जिंदगी थी,
इस जिंदगी ने मै जी गया,
काड माड सु दुनिया काड़ी,
में मै तो साथ अकेला सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु......
चिलम खीच के आँख,
बेच के दर्शन कर लू तेरे,
बियर दिलविच दम,
मारे से डेली शाम सवेरे,
झुलफेगी लोर से चारो ओर,
मै होया फिरू अलबेला सु,
झुलफेगी लोर से चारो ओर,
मै होया फिरू अलबेला सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु,
अपने धुन में जिया करू,
मै भोलेनाथ का चेला सु......