बजरंगी के प्यार मै कही पागल ना हो जाऊ
सिर सोहने का मुकट विराजे,
गल मोतियाँ की माला साजे,
इस की माला को देख के,
कही पागल न हो जाऊ,
पाव में पजनिया छम छम बजे,
भगता के संग छम छम नाचे,
इस की छम छम को देखके कही पागल न हो जाऊ,
इस बजरंगी के प्यार मै कही पागल ना हो जाऊ,
एक हाथ में गधा विराजे दूजे हाथ में पर्वत साजे,
इसके पर्वत तो देखके कही पागल न हो जाऊ,
बजरंगी के प्यार मै कही पागल ना हो जाऊ