लगा तीर लखन मैं सीने में , हाय कुछ भी सुझ न पाये,
जल्दी से आओ हनुमत प्यारे , कही रात बीत न जायें ,
तुम्हें काहें को देर लगाई , हनुमत आ जाऊ ॥
मेरा तड़फ रहा है भाई , हनुमत आ जाऊ ॥
उठो मेरे भाई ,क्यों सोये मुख मोड़ के ॥
क्या मिलेगा ,तुझे दिल मेरा तोड़ के ॥
सुनो राम ,अपने की दुहाई ॥
भाई के बिना ,मैं घर नहीं जाऊंगा ॥
लखन के सगं ,आज मैं भी मर जाऊंगा ॥
तुझ बिन मैं ,क्या करूं खुदाई ॥
आ गऐ हनुमत ,पर्वत चीर के ॥
दुखड़े मिटाऐ ,जिसने रघुवीर के ॥
हर संकट,बिगड़ी बनाई ॥
Singer :- kumar - Sanjeev
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