यो नटवर नंद का लाल मेरे मन बस ग्यो रे,
घायल की गत घायल जाने,
मैं जाऊँगी यमुना किनारे,
जहां रास रचावे नंद लाल, मेरे मन बस ग्यो रे....
जब बाजे मेरी श्याम की मुरलिया,
छम छम नाचूँ मैं बांध के घुँघरिया,
उठ रहीमन में झंकार, मेरे मन बस ग्यो रे....
जग मस्तानी मुझे कहने लग है,
नीर मेरे मन से बहने लगा है,
कौन जाने मेरे दिल का हाल, मेरे मन बस ग्यो रे....
मन मोहन मेरा श्याम सलोना,
कभी खेले कभी बने खिलौना,
मोह लिया सारा संसार, मेरे मन बस ग्यो रे....