पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा पार्वती....
हरि हरि भंगिया गाड़ी पर्वत पर,
पीवेगे भोलेनाथ घोटेगी गोरा पार्वती,
पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा पार्वती....
शीश भोले के जटा बिराजे,
बीच में गंगा की धार नहावेगी गोरा पार्वती,
पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा पार्वती....
माथे पर चंदा गले नागो की माला की,
डमरु बजावे भोलेनाथ नाचेगी गोरा पार्वती,
पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा पार्वती....
संग में उनके नंदी सोहै,
नंदी पे होके सवार घूमेगी गोरा पार्वती,
पर्वत पर बैठे भोलानाथ आवेगी गोरा पार्वती....