तर्ज: रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया
जिंदगी उदास रहती है, तेरे मिलन की आस रहती है,
तुम आओ तो कोई बात बने, मुझे तो तेरी ही तलाश रहती है।
सुमिरन वो नशा है, जो कभी छूटता नहीं,
सतगुरु वो भरोसा है, जो कभी टूटता नहीं,
जिसे आदत है संतों के सत्संग में आकर बैठने की,
तो फिर भवसागर में वो कभी डूबता नहीं।
नमो नारायण जपते जपते, बीतीं रे उमरिया,
सतगुरु प्यारे कब आओगे, भक्तों की डगरिया.....
मैं निर्गुणियां गुण ना कोई, भजन भाव ना जानू जी,
नाथ आपके दर्शन खातिर, कब से राह निहारूं जी,
चरण कमल से पावन कर दो, दास की झोंपडिया,
नमो नारायण जपते जपते....
सतगुरु की जो शरण में आता, सबकुछ वो पाता है,
लोहा कंचन हो जाता, जो प्यार गुरु का पाता है,
मुझ पर दाता कर्म कमा दो, फंदा काटो 84 का,
नमो नारायण जपते जपते....,,
शिव रूपी मेरे सतगुरु प्यारे, सारे जग से न्यारे हैं,
साध संगत में बैठे देखो, लगते कितने प्यारे हैं,
हरि मिलन की राह बताते, ज्ञान की खोल गठरिया,
नमो नारायण जपते जपते....
महामंडलेश्वर स्वामी कपिल पुरी जी, रूप राम और श्याम का,
संत शिरोमणि कमल पुरी जी, रूप लखन बलराम का,
मात पिता बन लाड लडाते, करते मेहर नजरिया,
नमो नारायण जपते जपते....