हर महीने मैं खाटू जाऊं,
श्याम नाम की महिमा गाऊ,
झंडा ठाऊ, कुंड मैं नहाऊ, सुनो मनाऊ रोज उस मतवाले न....
किते तो मोहन नाम धराया,
बणया श्याम खाटू मैं आया,
जग मैं छाया,श्याम कहाया, पल मैं देता खोल अकल के ताले न……
उसकी फेरू सु मैं माला,
हिरदे मैं कर दिया उजाला,
कृष्ण कला,मेरा रुखला,कर रहया चला रोज, हटा दे जाले न…..
अरज सुनो मेरी गिरधारी,
शेरखान तेरी महिमा प्यारी,
सुनो हमारी, हो बनवारी, लगन लगाली रोज जैतपुर आले न…….