जमुना तेरे समीर,
थोडी मंद मंद चले,
बृज के राज में भी सुगंधी,
मेरे गोविंद की मील,
नटखट नटवर नगर नंद लाल,
अरे मुरलीधर कान्हा सांवरे,
हे गोपाल...
नंदनवन मे कृष्ण मुरारी,
आज भी नर्तन करें,
वृंदावन के नर नारी,
रालमिल संकीर्तन करें,
सोहे मोर मुकुट मथे,
कांठे वैजंती माला,
हे बंसीधर मोहक सलोन,
हे गोपाल....
लीलाधारी रसबिहारी की,
महक कण-कण में,
गोपी जनवल्लभ त्रिपुरारी हरि,
एक एक मन में,
श्याम श्याम रंग में,
सारा गोकुल रंग दल,
माधव मदन मुरारी सांवरे,
हे गोपाल....