रोज-रोज कहना सानू चंगा नयो लगदा
सच्ची मुच्ची श्यामा साडा दिल नहीं हो लगदा
रोज सवेरे उठ बुहे वल वेणी आ,
अज वी ना आए श्याम मन विच कैणीया,
तेरे बगैर जग सूना सूना लगदा,
सच्ची मुच्ची श्यामा......
आके ता वेखो मेरा हाल की होया ए,
मैं नहीं रोई जग मैनू वेख रोया ए,
कोई ना मिलिया मेरे जखम तकदा
सच्ची मुच्ची श्यामा......
एक वारी सोनयो कोलो लंग जायो जी,
पुंछ लईयो हाल मेरा पावे ना बुलायो जी,
रोग अवलडा ते दारु नईयो लगदा,
सच्ची मुच्ची श्यामा......