कब मिलहे घनश्याम

कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में,
सुना गोकुल धाम कुञ्ज वन छोड़ गये सच में,
कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में,

हम न हुये हये मोर की पखियाँ हरि करते शृंगार,
मुकट पर सज लेते सजनी,
कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में,

हम न हुये हये बांस की बंसी हरि जो रचाते रास
अधर पर धार लेते सजनी,
कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में,

हम न हुये हये यमुना की मछली हरि करते इशनान,
कमल पद छू लेते सजनी,
कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में,
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