मन वृन्दावन बनाया

तरज़:- मुझे वृन्दावन बसाया, ये कृपा नहीं तो क्या है

मन वृन्दावन बनाया, इसमें तुझे बिठाया,
ये भजन नहीं तो क्या है,
मन वृन्दावन बनाया....

ह्रदय आसन्न को सजा के, उसपे तुझे बिठा के,
मन मन्दिंर है बनाया, इसमें तुझे बिठाया,
ये भजन नहीं तो क्या है,
मन वृन्दावन बनाया....

दुनिया से दिल हटा के, तुझमें ही मन लगा के,
सासों में है समाया, ये भजन नहीं तो क्या है,
मन वृन्दावन बनाया....

गुरूवर ने भर दिया है, नाम रस से मन का प्याला,
धसका को पागल बना के, विषियों से मन हटा के,
ये भजन नहीं तो क्या है,
मन वृन्दावन बनाया....
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