मन की तरंग

मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन,
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,

आये तुम कहा से जाओंगे तुम कहा को,
इतना तो दिल विचार लो बस हो गया भजन ,
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,

कोई तुम्हे बुरा कहे तुम सुन करो छमा,
वाणी का स्वर संभाल लो बस हो गया भजन,
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,

नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करो,
मत सिर बलि का बार लो बस हो गया भजन,
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,

सिद्धांत साफ़ साफ़ ये सतगुरु कबीर का ,
सन्देश साफ़ साफ़ ये सतगुरु कबीर का,
जिन हंस रूप धार लो बस हो गया भजन ,
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन,
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