राजाजी महाराजाजी राजाजी महाराजाजी....
उज्जैन की नगरी में एक ही हस्ती,
शिप्रा के किनारे महाँकाल की बस्ती,
देवो के महादेव की करलो जरा भक्ति,
तेरे दर्श को बाबा मेरी आँखें तरसती,
भोले तेरी नगरी में किरपा बरसती.....
कोई तुम्हारे नाम का कीर्तन है गा रहा,
कोई रगड़ के सिल्ले पे भंगिया चढ़ा रहा,
भक्ति में मस्त नाचते दिवाने हर घडी,
कोई बजाता शंख कोई डमरू बजा रहा....
दरबार महाँकाल का है सबसे निराला,
पल भर में खोल देते है किस्मत का ये ताला,
चोखट पे महाँकाल की तु सर को झुकादे,
कर देंगे " प्रेमी"ये तेरे जीवन मे उजाला.....
फूलो के सांथ जिसने बेलपत्री चढ़ाई,
भोले ने उसकी विपदा देखो पल में मिटाई,
भोले के दर से कोई भी लोटा नही खाली,
भोले ने अपने भक्तों की है बिगड़ी बनाई.....