मैंने राम नाम गुण गाया नहीं,
हृदय में ज्योत जलाई नहीं....
मेरा आयो बचपन धीरे-धीरे,
मैंने दूध पिये लोटा भर के,
मैं तो पड़ गई सचिन के झमेले में,
मेरी मिच गई आंख अंधेरे में.....
मेरी आई जवानी झटपट के,
मैं घर से निकल गई बन ठन के,
मैं तो पड़ गई सजन के झमेले में,
मेरी मिच गई आंख अधेरे में.....
मैंने बेटा जाए हस हस के,
मैंने दूध पिलाऐ दिल भर के,
मैं तो पड़ी ममता के झमेले में,
मेरी मिच गई आंख अधेरे में.....
बेटे का ब्याह रचाया है,
मैंने खुशी-खुशी नोट उड़ाया है,
मैं तो पड़ गई बहु के झमेले में,
मेरी मिच गई आंख अंधेरे में.....
मेरो आया बुढ़ापा डट डट के,
मोसे बहूअल चल रही बच बच के,
मेरी कर दई खाट द्वारे में,
मेरी मिच गई आंख अंधेरे में.....
मैं तो गई थी गुरुजी के सत्संग में,
मेरी खुल गई आंख उजाले में,
मैंने राम नाम गुण गाया है,
ह्रदय में ज्योत जलाई है......