जो वादे हमने किये थे तुमसे,
वो वादे अपने बदल रहे हैं,
हम पी के माया का मंदिर मोहन,
मचल रहे हैं फिसल रहें हैं।
नो माह माँ के गर्भ में रहकर,
वचन दिया था भजन करूँगा,
सदा चलेंगे सच्चाई पर हम,
पर झूठे पथ पर हम चल रहे हैं।
पाके वेदों का ज्ञान गुरु से,
प्रकाश फेलाये सारे जग मे,
पढ़ी न रामायण और गीता,
अंधेरे पथ पर हम चल रहे हैं।
हमेशा दिनों की दीनता पर,
मुस्कराए ठुकराया उनको,
गुरुर माया का छाया इतना,
पैरो से सबको कुचल रहे हैं।
जब होश आया पटक के सिर को,
पछताए रोये पुकारा तुमको,
"राजेन्द्र"भूलों को याद कर अब,
धीरे -धीरे सम्हल रहे हैं।
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी