हम लाज शरम का घुँघटा भई डाल जाते है,
हम तो उस राधे रानी के ससुराल जाते है....
राधे रानी के चलते वृन्दावन लागे प्यारा,
राधे भक्तो की मंजिल, राधे के चरण है किनारा,
हम भजन नही राधे के भई गीत गाते है,
हमतो उस राधे रानी के ससुराल जाते है....
वृन्दावन गाँव जरा सा देखो राधे की माया,
राधे के चरण पड़ते ही सारा ब्रहांड समाया,
वो मंदिर है ये दिल से निकाल जाते है,
हमतो उस राधे रानी के ससुराल जाते है.....
धन्य धन्य पीहर ही माटी,
धन्य धन्य उसका बरसाना,
अपनी ससुराल बनाने ये श्याम हुआ था दीवाना,
मस्तक पे उस माटी की रंग गुलाल लगाते है,
हमतो उस राधे रानी के ससुराल जाते है.....
बनवारी करे इशारा तू चरण पकड़ ले उसके,
वो भव सागर का माझी भई पड़ा चरण में जिसके,
हम ढोल नही राधे की शहनाई बजाते है,
हम तो उस राधे रानी के ससुराल जाते है.....