ये दिल की दास्तां होठो पे आई सांवरे सुन लो,
दुखो की मार से आँखे भरई सांवरे सुन लो,
हमारी लाज है गिरवी क्या बैठे देखते हो तुम,
क्या पानी है मेरे आंसू क्यों कुछ न बोलते हो तुम,
ज़माने में हुई है अब हसाई सांवरे सुन लो,
ये दिल की दास्तां.....
जिधर भी देखता हु मैं अँधेरा ही अँधेरा है,
मैं खुद से हार बैठा हु निरशा और अँधेरा है,
हमारे दिल में न है अब समाई सांवरे सुनलो,
ये दिल की दास्तां
दयालु हो कन्हैया तुम दया मुझपे करदो ना,
कहे मोहित मेरी झोली प्रभु खुशियों से भर दो न,
प्रभु हमने भी ये अर्जी लगाई सांवरे सुन लो,
ये दिल की दास्तां