भावना की ज्योत को जगा के देखिए-वैष्णों दरबार

भावना की ज्योत को, जगा के देखिए ll
कि बोलती है मूर्ती, बुला के देखिए l
सौ बार चाहे, आज़मा के देखिए l
कि बोलती है मूर्ती, बुला के देखिए ll
भावना की ज्योत को,,,,,,,,,,,,,,,,,,

करोगे जो सवाल, तो जवाब मिलेगा l
*यहाँ पुण्य पाप का, हिसाब मिलेगा l
भले बुरे सब की, वो जानती हैं माँ*,
"खरी खोटी सब की, वो जानती है माँ" l
श्रद्धा से सर को, झुका के देखिए ll
कि बोलती है मूर्ती, बुला के देखिए ll
भावना की ज्योत को,,,,,,,,,,,,,,,,,,

छाया में है छुपी, वो बैठी है धूप में l
*माँ का मिलता है दर्शन, किसी भी रूप में l
होगा हर जगह पे, विश्वास मईया का*,
"तेरे विश्वास में है, वास मईया का" l
जिस और नज़रें, घुमा के देखिये ll
कि बोलती है मूर्ती, बुला के देखिए ll
भावना की ज्योत को,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मिटाकर तूँ खुदी, माँ को धिया कर देख ले l
चली आएगी दौड़ी, बुला के देख ले l
हो बनिये जब था, बुलाया प्यार से*,
"मईया ने बचाया था, मंझधार से" l
हस्ती को अपनी, मिटा के देखिए ll
कि बोलती है मूर्ती, बुला के देखिए ll
भावना की ज्योत को,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल
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