मुझ पातक का हो ऐसे उद्धार

हो जाऊँ मैं उस राह की कंकर,
जिससे गुजरे मेरे भोले शंकर,
मुझे रौंद कर भक्त सब पहुंचें,
काशी नगरी शिव के द्वार,
मुझ पातक का हो ऐसे उद्धार,
शोभित करे जो प्रभु चरणों को,
हो जाऊँ पत्र दल उस सुमन का,
या छू आऊँ मैं उस पुष्प को,
बनके भ्रमर उस उपवन का,
चरण पघारे जो भोले नाथ के,
हो जाऊँ मैं जल की वो धार,
मुझ पातक का हो ऐसे उद्धार,
चरण नवाऊँ शीश सदा मैं,
करें विनती महादेव मेरी स्वीकार,
जगत पिता जगत नाथ वहीं हैं,
करें मुझ पातक का उद्धार,
करें राजीव का उद्धार ॥

©राजीव त्यागी
नजफगढ़ नई दिल्ली  
श्रेणी
download bhajan lyrics (385 downloads)