समय केवट की देखो बदली है रवैया,
पालनहारी जग का, केवट है खेवैया.......
बोलो राम राम राम, राजा राम राम राम.....
वो कैसे, निभाएंगे ये काम रे,
कामों से भारी है, राम नाम रे,
जिसके वचनों से सूख जाती पावन गंगा,
करने बैठा है तेरी किस्मत कर्मो चंगा,
बैकुंठ तर गयी, मल्लाह तेरी नैया,
पालनहारी जग का, केवट है खेवैया.......
बोलो राम राम राम, राजा राम राम राम.....
राम कैसे समझेंगे इसका हाल रे,
नैया चला के करता बेड़ा पार ये,
जिसके हाथों न रही अब राजधानी भार,
मजूरी तुझको दे गया वो वनवासी अपार,
ढोंग कर गयी, माया तेरी रमैया,
पालनहारी जग का, केवट है खेवैया.......