सीता राम दर्श रस बरसे जैसे ससावन की झड़ी
सावन की झड़ी प्यासे प्राणों पे पड़ी
सीता राम दर्श रस बरसे जैसे ससावन की झड़ी
राम लखन अनमोल नगीने अवध अंगूठी में जड लीले
सीता एसी सोहे जैसे मोती की लड़ी
सीता राम दर्श रस बरसे जैसे ससावन की झड़ी
राम सिया को रूप निहारे नाचे गावे सब नर नारी
चल री दर्शन कर आवे क्या सोचत खड़ी
सीता राम दर्श रस बरसे जैसे ससावन की झड़ी
रूम रूम को नैन बना लो राम सिया के दर्शन पा लो
बरसो पीछे आई है ये मिलन की घड़ी
सीता राम दर्श रस बरसे जैसे ससावन की झड़ी