वर तेरा निक्का जेहा गौरा

वर तेरा निक्का जेहा गोरा,
जिहदे नाल लगी है तू करन विवाह,

जिस दी खातिर गोरा हथ विच महंगी लगाई,,
एसे  तुरध मलंग ने गोरा क्यों तू प्रीत लगाई,
क्यों हाथ विच मेहंदी लगाई क्यों प्रीत लगाई,
वर तेरा निक्का जेहा गोरा.....

जिस दी खातिर गोरा ने छल छल कपडे पाए,
ओ नित अपने जिस्म नु गोरा रखदा बसम लगाए,
तू छल छल कपडे पाए ओ बसम लगाये,
वर तेरा निक्का जेहा गोरा.....

जिसदी खातिर गोरा ने सोहने सोहने गहने पाए,
ओ ता हाथा विच अपने तिरशूल दे डमरू उठाये,
तू सोहने सोहने गहने पाए ओ डमरू वजाए,
वर तेरा निक्का जेहा गोरा.....

जिसदी खातिर गोरा ने वन विच कुटिया लाइ,
धुनें ते समसना धुना लाके अलख जगाई,
तू बन विच कुतिया पाई ओ अलख जगाई,
वर तेरा निक्का जेहा गोरा.....
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