ग्यारस की है पावन रात,
बन जाएगी बिगड़ी बात,
चल खाटू चलिए....
अपना लो श्याम मुझे अब तो,
मेरा कोई नहीं है तेरा सिवा,
तेरे दर्शन को तड़पा हूँ,
तेरे दर्श ही बाबा मेरी दवा,
खाटू का दरबार जिसमे बैठा लखदातार,
चल खाटू चलिए....
झूठी दुनिया है ये सारी,
यहाँ कोई नहीं है अपना सगा,
जिस पर भी भरोसा मैंने किया,
उसने ही दिया है मुझको दगा,
नाव मेरी मझधार बाबा कर ही देगा पार,
चल खाटू चलिए....
लाखों को तारा है तुमने,
मुझको भी पार लगाओ प्रभु,
थक हार गया है विनीत तेरा,
मेरे श्याम सांवरे आओ प्रभु,
करता है करामात देता हारे का है साथ,
चल खाटू चलिए....