कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है,
सुन्दर सींग नयन मतवाले कोमल कान कमल से प्यारे,
पकड़ों दीनानाथ मृग मेरे मन को भाया है,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है…..
सीता करे अचम्भा मन में ऐसा मृग नही देखा वन में,
मोटे मोटे नैनो वाला मृग मेरे मन को भाया,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है….
राम ने मानी बात सिया की रामचंदर जी जैसे ज्ञानी,
धनुष बाण लिए हाथ राम ने तीर चलाया है,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है….
खीचा धनुष हिरण को मारे हाय प्रिय हाय प्रिय लखन पुकारे,
सुने राम के बोल सिया का मन घबराया है,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है….
सुनो लक्ष्मण जल्दी जाओ अपने भाई के प्राण बचाओ,
मेरे नाथ पे आज बड़ा कोई संकट आया है,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है….
लक्ष्मण बोले सुनो मेरी माता उनको कौन मारने वाला,
वो तिरलोक के नाथ ये उनकी अद्भुत माया है,
हाँ कैसा सुन्दर मृग वनो में चरने आया है….