हम हैं राही भटकते रहे उमर भर,
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे,
हम हैं राही भटकते रहे उमर भर,
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे......
तुमसे बांटी हर व्यथा, तुमसे बांटें अंशु,
सीना है ये पत्थर सा पर दिल तो अंदर नाज़ुक,
सबको जोड़ गांवों से पर खुद में पूरा टूटा हूं,
पन्नो को मैं राख करूं या दिल ही जला दूं?
मैं भी तो इंसान प्रभु, मैं कर देता हूं गलती रोज,
एक बार क्या बुरा बना ये ढूंढ रहे हैं गलती रोज,
गलती खोज रोज मेरी एहसास मुझे ही देने लगे,
तू कभी न सुधारेगा उठा के चल गलती का बोझ,
आज अकेला फिर से हूं, पन्नो पे जज़्बात पड़े,
बंदूक लगी बेचानी की दोनो मेरे हाथ खड़े,
शिव तेरे मैं राम मेरे किसको बोलूं दिल की बात,
दो मुख्य बैठा था अब सुबह के है पांच बाजे,
मेरे ही दर्द के मैं सिलसिलों में खोया हूं,
पचतावों के दागो को कल ही दिल से धोखा हूं,
बिस्तर पे था लाश बना, कोशिश भी थी बड़ी करी,
पर सच बोलूं तो राम मेरे ना तीन दिनों से सोया हूं.....
गलतियां हम किए होंगे, इंसान है माफ करना,
फिर से है ये भारी दिल, दिन भी तो अजीब हुआ,
तीस दिनों का एक महीना मर के नसीब हुआ,
जीने की इच्छा ना मेरी फिर उठी है दिल में,
फिर से टूटा दुनिया से मैं, राम तेरे करीब हुआ,
तेरी बनाई दुनिया में धोके सुबह शाम मिले,
दिल में न भगवान मिला पर सबको चारो धाम मिले,
चित्रकूट भी घूम मैं, घूम लिया तेरी नगरी में,
नाम तेरा तो रोज मिला पर कभी नहीं श्री राम मिले,
ऐसी भी क्या गलती करदी चोर गए क्यों नाथ हमें,
कल गिरा जो नीचे तो कौन ही देगा हाथ हमें,
कौन ही देगा साथ मेरा शिव तेरे हे नाथ मेरे,
शबरी बांके बैठा हूं, आस पड़ी है पास मेरे,
राम तेरे ही गीतों में शबरी बांके खोया हूं,
इंतजार का बीज प्रभु काले युग में लड़का हूं,
बिस्तर पे था लाश बना मैं, कोशिश मैंने बड़ी करी,
पर सच बोलूं तो राम मेरे ना तीन दिनों से सोया हूं......
हम हैं राही भटकते रहे उमर भर,
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे,
हम हैं राही भटकते रहे उमर भर,
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे......