तर्ज :- मेरे उठे विरहा की पीर
खुशियाँ छाई है अवध मैं खुशियाँ छाई है
भगवे ने किया कमाल अवध मैं खुशियाँ छाई है
- बरसो से जो देखा सपना वो पूरा हो गया
चाहा वहां मंदिर बनकर त्यार हो गया
तोड़:- बाजे ढोल नगाड़े संख बजे बाजे सहनाई है
- सजी अयोध्या दुल्हन सी सब देख के हरसाए
अम्बर से सब देवी देवता फूल बरसाए
तोड़ :-भाई लक्मण सीता संग खड़े मेरे रघुराई है
3.धरती का कण कण बोले जयकारा राम का
सब दुनिया मैं बाजे डंका जिनके नाम का
तोड़ :-भगवे मैं रंगा संसार राम किरपा बरसाई है
- जिसने तोड़े मंदिर बदले जिसने धरम यहाँ
जाग उठा अब हिन्दू छुपकर बैठे हो कहा
तोड़ :-जब हुआ सनातन एक वहां महंत रंग लाई है
- कहता त्यागी भगवे रंग की बात ही नयारी है
भगवे रंग मैं रंगने की अब कर ली तयारी है
तोड़ :-भगवे के रंग मैं रंगी सुनीता महिमा गाई है