तेरी दीवानी राधा रानी कबसे निहारे थोर,
जब देखो जाए कान्हा जी सौतन बंसुरिया की ओर……..
सारा सारा दिन तू तो अधरों को ऐसे चुमती रहती बंसुरिया,
लिपट कमरिया से कान्हा के ऐसे घूमती रहती बंसुरिया,
लाज नहीं आती क्या तुझको सुन ओह बनवारिया,
तू मेरी सौतन बाँसुरिया, मेरी बैरन बाँसुरिया……..
तूने मेरे मोहन पे कैसा जादू डाला,
मेरा कन्हैया बन गया देखो मुरली वाला,
एक तेरे कारण दूर हुआ है मुझसे सांवरिया,
तू मेरी सौतन बाँसुरिया, मेरी बैरन बाँसुरिया………
सुन ओह मेरी प्यारी राधा, क्यूँ इतना घबराती है,
मेरी तो हर एक सांस तेरा ही बस गीत सुनाती है,
अधरों पे बेशक है पर दिल में मेरी तू गुजरिया,
नहीं है सौतन बंसुरिया, न है बैरन बंसुरिया…..