हो म्हारे होली खेलन आइये हो कृष्ण गोपाला ॥
बागों में तेरी राह देखुगी ॥
तू मतना बाँट दिखाइये, हो कृष्ण गोपाला ॥
हो म्हारे .........................
चुपके -॥ चाला आइये ॥
मत साथ किसेन लाइये, हो कृष्ण गोपाला ॥
हो म्हारे ..........................
दूध मलाई मैं दूंगी पीवण न ॥
हो तू माखन मिश्री खाइये हो , कृष्ण गोपाला ॥
हो म्हारे ............................
मैं काहना तेरे रंग मसलुंगी ॥
तू गुलाल लगाइये, हो कृष्ण गोपाला॥
हो म्हारे..................
घर-घर के माह ख़ुशी हो मनावा॥
देशी का पकवान बनावा॥
तू आके भोग लगाइये, हो कृष्ण गोपाला ॥
हो म्हारे .......................
तेरे प्यार की या राधा प्यासी ॥
तू आके दर्श दिखाइये , हो कृष्ण गोपाला ॥
कह मुरारी तेरे हो नाम का ॥
हो दर्श करा दे सुरग दाम का ॥
तू आके रास रचाइये, हो कृष्ण गोपाला ॥
हो म्हारे होली खेलन आइये हो कृष्ण गोपाला -॥
स्वर - कौशिक