तेरे कई जन्म बन जायें,
जो हरि से प्यार हो जाये,
तो करुणा कर से कोई दिन,
तेरा दीदार हो जाये।।
भटकता रहता है प्राणी,
जन्म मृत्यु के बंधन में,
जगत के मोह माया में,
वही रिश्तों के बंधन में,
ये उलझन सारी मिट जाये,
जो प्रभु पतवार हो जाये।।
ये तेरा है ये मेरा है कि रट,
जब तक लगाएगा,
तो भव सागर से तूँ प्राणी,
यूं ही गोता लगाएगा,
ये झंझट सारी मिट जाए,
अगर वो यार हो जाये।।
ये झूठा माया का चक्कर,
तुझे तरने नही देगा,
तुझे "राजेन्द्र" जीवन में,
उबरने ये नही देगा,
हरि भक्ति है युक्ति गर,
तुझे स्वीकार हो जाये।।
गीतकार/गायक-राजेंद्र प्रसाद सोनी